Description: | विमल ने सर्वशक्तिमान बखिया तक को तो परास्त कर डाला था लेकिन अपने प्रारब्ध से वो एक बार फिर हार गया था ! हालात ने कुछ ऐसी करवट बदली थी कि विमल को अपने जीवन के उद्देश्य और अस्तित्व पे ही सवालिया चिन्ह नजर आया, एक ऐसा चिन्ह जिसके आगे अगर कुछ दिखाई देता था तो मात्र एक शून्य जिसमें गर्त हो जाना ही उसे अपना नसीब लगता था | |
Author: | Surender Mohan Pathak |
Language: | Hindi |
Publication: | Dailyhunt, Raja Pocket Books |
Book Series Name: | Vimal Series 15 |
Digital: | Yes |
Physical: | Yes |
Rented: | No |
Wishlist: | No |
In Transit: | No |
Book Post Date: | March 29, 2015 |
Publication: Ravi Pocket Books
Series: Vimal Series 37
Language: Hindi
Physical
Digital
In Transit
Rented
Wishlist
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