Description: | जगमोहन विमल का बिछुड़ा दोस्त था जिसने कि विमल से नहीं बल्कि उसके जमीर से - जिसका कि विमल कैदी था - मदद की गुहार लगाई थी और साथ ही अंदेशा भी जाहिर किया था कि 'खाक हो जाएंगे तुझे खबर होने तक' । तो क्या जमीर का कैदी अपनी कैद से आजाद हो पाया ! क्या विमल 'खाक' हो जाने से पहले जगमोहन की मदद को पहुंच पाया ? |
Author: | Surender Mohan Pathak |
Language: | Hindi |
Publication: | Ravi Pocket Books, Dailyhunt |
Book Series Name: | Vimal Series 36 |
Digital: | Yes |
Physical: | Yes |
Rented: | No |
Wishlist: | No |
In Transit: | No |
Book Post Date: | October 2, 2014 |
Publication: HarperColins Publishers India Ltd
Series: Imran Series
Language: Hindi
Physical
Digital
In Transit
Rented
Wishlist
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