Description: | विमल के गुरुओं की सीख थी कि दीन के हित में लड़ना चाहिये, जुल्म के खिलाफ आवाज उठानी चाहिये । और फिर एक पीड़ित लड़की की हमलावर बांह की फरियाद सुनकर विमल निर्लिप्त ना रह पाया ! शीघ्र ही उसने खुद को जहाज के पंछी की भांति अपनी गुनाह से पिरोई जिंदगी के रूबरू पाया ! |
Author: | Surender Mohan Pathak |
Language: | Hindi |
Publication: | Dailyhunt, Raja Pocket Books |
Book Series Name: | Vimal Series 21 |
Digital: | Yes |
Physical: | Yes |
Rented: | No |
Wishlist: | No |
In Transit: | No |
Book Post Date: | January 3, 2015 |
Publication: Bennett, Coleman & Co. Ltd
Series: IJC Hindi 187
Language: Hindi
Physical
Digital
In Transit
Rented
Wishlist
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